Friday, March 12, 2010

क्रोध (Anger)


१. क्रोध में मनुष्य की आँखे बंद हो जाती है |

और जुबान खुल जाती है |


२. क्रोध करने का मतलब है |

दूसरो की गलतियो की सजा अपने को देना |


३.क्रोध में की गई सब बाते

अंत में उल्टी पड़ जाती है |


४.क्रोध सदैब मूर्खता से शुरू होती है |

तथा पशचाताप पर समाप्त होता है |


५.सुबह से शाम तक काम करके आदमी इतना नहीं थकता

जितना क्रोध में एक घंटे में थक जाता है |


६.मनुष्य क्रोध में समुद्र की तरह बहरा ,

आग की तरह उताबला हो जाता है |


७. क्रोध समझदारी को घर से बाहर निकाल देता है |

और दरबाजे पर चटकनी लगा देता है |


८. क्रोध तो बरैया के छते में |

पत्थर फेकने के समान है |


९. मोंन अंत की भाषा है |


१०. मोंन सर्बोतम भाषा है |

अगर बोलना ही हो तो कम से कम बोलो

एक शब्द से काम चल जाय तो दो न बोलो |


११.क्रोध को प्रेम से , पाप को पुन्य से |

लोभ को दान से , असत्य को सत्य से जीत लो |

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