Meditation

Prayer is when you talk to God; Meditation is when you listen to God.

God did not Create Evil

“God did not create evil. Just as darkness is the absence of light, evil is the absence of God.”

People see God every day

People see God every day , they just don't recognize him.

Buddha

The Root of Suffering is Desire.

The Peace you are looking for

The Peace you are looking for is not outside you....it's what is looking out your eyes.

Buddha

We are shaped by our thoughts; we become what we think. When the mind is pure, joy follows like a shadow that never leaves.

Tuesday, October 5, 2010

मंजिले अभी और भी है |

मंजिले अभी और भी है |
रास्ते अभी और भी है |
तेरे मेरे पड़ने इस दुनिया से वास्ते अभी और भी है |

मंजिले अभी और भी है |
रास्ते अभी और भी है ||

कस्ती हमेशा किनारे से लगे जरुरी तो नहीं |
लहरों में छुपे हुए मुश्किलो के फ़साने अभी और भी है |
मंजिले अभी और भी है |
रास्ते अभी और भी है |
तेरे मेरे पड़ने इस दुनिया से वास्ते अभी और भी है |

क्यों उदास बेठा है तू |
यादों में खोया रहता है तू |
भूल के तो देख, ढूढ़ के तो देख |
मुश्किलो में भी मिलेंगे हँसने के बहाने अभी और भी है |
मंजिले अभी और भी है |
रास्ते अभी और भी है ||
तेरे मेरे पड़ने इस दुनिया से वास्ते अभी और भी है |

मंजिले अभी और भी है |
रास्ते अभी और भी है ||

Tuesday, June 1, 2010

मंगल सुविचार



जो मेरे भाग्य में नहीं है,

वो दुनियाकी कोई भी शक्ति ,

मुझे नहीं दे सकती और जो मेरे भाग्य में है |

उसे दुनियाकी कोई भी शक्ति छीन नहीं सकती

ईश्वरीय शक्ति असंभव को संभव बना सकती है |

अतः कर्म ही "कामधेनु " एवम प्रार्थना ही "पारसमणी" है |

Friday, March 12, 2010

क्रोध (Anger)


१. क्रोध में मनुष्य की आँखे बंद हो जाती है |

और जुबान खुल जाती है |


२. क्रोध करने का मतलब है |

दूसरो की गलतियो की सजा अपने को देना |


३.क्रोध में की गई सब बाते

अंत में उल्टी पड़ जाती है |


४.क्रोध सदैब मूर्खता से शुरू होती है |

तथा पशचाताप पर समाप्त होता है |


५.सुबह से शाम तक काम करके आदमी इतना नहीं थकता

जितना क्रोध में एक घंटे में थक जाता है |


६.मनुष्य क्रोध में समुद्र की तरह बहरा ,

आग की तरह उताबला हो जाता है |


७. क्रोध समझदारी को घर से बाहर निकाल देता है |

और दरबाजे पर चटकनी लगा देता है |


८. क्रोध तो बरैया के छते में |

पत्थर फेकने के समान है |


९. मोंन अंत की भाषा है |


१०. मोंन सर्बोतम भाषा है |

अगर बोलना ही हो तो कम से कम बोलो

एक शब्द से काम चल जाय तो दो न बोलो |


११.क्रोध को प्रेम से , पाप को पुन्य से |

लोभ को दान से , असत्य को सत्य से जीत लो |

प्रेम (Love)


प्रेम त्याग भावना , कर्तब्य भावना से ही होना चाहिए |

सौदर्य और वासना का प्रेम , प्रेम नहीं होता है |


वह एक तरह का धोखा है | प्रेम आत्मा से किया जाता है |

शारीर से नहीं क्योंकि शारीर नाशवान है |


प्रेम कर्तव से किया जाता है | कामुकता से नहीं |

प्रेम में किसी प्रकार का विकार नहीं होना चाहिए |


प्रेम गंगा जल की तरह पवित्र होना चाहिए |

प्रेम में निस्वार्थ सेवा भावना होनी चाहिए |


प्रेम किसी से भी किया जा सकता है |

यदि व्यक्ति में ये सभी विचार हो तभी वह

एक प्रेम पुजारी कहा जा सकता है |


और संसार स्वर्ग बन जायगा , और प्रत्येक

जगह सन्ति , सदभावना, और संतोष हो जायगा |


आपसी प्रेम से ही यह संसार स्वर्ग बन सकता है |

और उसके आभाव से लोगो का जीवन मुश्किल होता जा रहा है |

इसलिए प्रेम के मार्ग पर चलना आवशक है |