१. प्रेम बोला नहीं जा सकता, बताया नहीं जा सकता ,
दिखाया नहीं जा सकता , प्रेम तो चित से चित का अनुभव है
२. जो मुझे करना चाहिए , वह मुझे मालूम है
लेकिन वह में करता नहीं, और जो मुझे नहीं करना चाहिए,
वह भी मुझे मालूम है , लेकिन वही में करता हू
३. हमारी जितनी मानसिक और शारीरिक शक्तिया है ,
आत्म - विश्वास उन सबका सरदार है
४. न बोले ही जहा काम चलता हो , वहा बोलने की बात ही कहा,
जहा सुई से काम चलता हो , वहा तलवार पागल उठाते है
५. अपमानो का या तो टीक से बदला लेना चाहिए,
या उन्हें टीक से सहन करना चाहिए
दिखाया नहीं जा सकता , प्रेम तो चित से चित का अनुभव है
२. जो मुझे करना चाहिए , वह मुझे मालूम है
लेकिन वह में करता नहीं, और जो मुझे नहीं करना चाहिए,
वह भी मुझे मालूम है , लेकिन वही में करता हू
३. हमारी जितनी मानसिक और शारीरिक शक्तिया है ,
आत्म - विश्वास उन सबका सरदार है
४. न बोले ही जहा काम चलता हो , वहा बोलने की बात ही कहा,
जहा सुई से काम चलता हो , वहा तलवार पागल उठाते है
५. अपमानो का या तो टीक से बदला लेना चाहिए,
या उन्हें टीक से सहन करना चाहिए
Great sir
ReplyDelete1 is superb
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