जो मेरे भाग्य में नहीं है,
वो दुनियाकी कोई भी शक्ति ,
मुझे नहीं दे सकती और जो मेरे भाग्य में है |
उसे दुनियाकी कोई भी शक्ति छीन नहीं सकती
ईश्वरीय शक्ति असंभव को संभव बना सकती है |
अतः कर्म ही "कामधेनु " एवम प्रार्थना ही "पारसमणी" है |